प्राक्कथन
प्रारंभिक बाल्यावस्था बच्चों के जीवन की एक संवेदनशील अवस्था है, जिसमें उनके शारीरिक, संज्ञानात्मक, भाषा तथा सामाजिक-भावनात्मक विकास की नींव पड़ती है, इसलिए प्रारंभिक बाल्यावस्था में निवेश बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है। प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा (ई.सी.सी.ई.) छोटे बच्चों के विकास तथा शिक्षा में बदलाव लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस प्रक्रिया में अभिभावकों का विशेष योगदान माना जाता है। प्रारंभिक कक्षाओं में बच्च्चों के नामांकन, ठहराव एवं सीखने पर भी ई.सी.सी.ई. का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ई.सी.सी.ई. के इस महत्व को जान लेने के बाद भारत सरकार द्वारा गंभीरता से इस दिशा में काम किया गया है। इस प्रक्रिया में विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों, अधिनियमों तथा संकल्पों के रूप में ई.सी.सी.ई. की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया गया है तथा देश में उपर्युक्त विषय में सामान्य समझ बनाने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। किन्हीं कारणवश अभी भी विभिन्न साझेदारों, जैसे- शैक्षिक योजनाकारों, प्रशासकों, शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों के बीच ई.सी.सी.ई. के सही प्रारूप की समझ का अभाव पाया गया है। इसी दिशा में प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने पहल करते हुए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा (ई.सी.सी.ई.) जागरूकता संसाधन पैकेज तैयार किया है। यह संसाधन पैकेज जागरूकता-संवर्धन के विभिन्न माध्यमों, जैसे प्रिंट, लोक तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा साझेदारों तक अपनी बात पहुँचाने का एक उपयुक्त प्रयास है।
यह ‘पैकेज’ हिंदी तथा अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में विकसित किया गया है। साथ ही यह भी ध्यान रखा गया है कि यह सामग्री पूरे देश में विभिन्न साझेदारों के लिए उपयोगी हो तथा ई.सी.सी.ई. जागरूकता संवर्धन करने वाले कार्यक्रमों में सहायक हो। ई.सी.सी.ई. रिसोर्स पैकेज के समुचित उपयोग हेतु इस संदर्शिका को बनाया गया है। यह संदर्शिका जागरूकता कार्यक्रमों के सफल संचालन तथा उनके क्रियान्वयन संबंधी तरीके को सहज रूप में सुझाती है।
मैं प्रारंभिक शिक्षा विभाग के इन प्रयासों के प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहता हूँ। ई.सी.सी.ई. की सही समझ बनाने की दिशा में यह एक सराहनीय प्रयास है। मेरा विश्वास है कि यह संसाधन पैकेज उन सभी लोगों के लिए रोचक और उपयोगी सिद्ध होगा जो जागरूकता संवर्धन कार्यक्रमों द्वारा ई.सी.सी.ई. के मुद्दों और चुनौतियों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संसाधन पैकेज के संबंध में आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएँ अपेक्षित हैं।
हृषिकेष सेनापति
निदेशक
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान
और प्रशिक्षण परिषद्
नयी दिल्ली
नवंबर, 2018
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