पुस्तक परिचय
“सूक्ष्य शिक्षण, विलव और वह ग्रन्थ है जी शिक्षक-प्रशिक्षण में हव्था बने विषय सूक्ष्म शिक्षण को छात्रों के सम्मुख सुगम विधि से प्रस्तुत कर उनके मन में व्याप्त भय को कम करता है। सूक्ष्म शिक्षण नई तकनीक है। अतः इसको पढ़ाने वाले प्रवक्ता भी इसमें भलि-भाँति सिद्धहस्त नहीं हैं। इसी कारण इस पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई। इसकी भाषा सरल है। तकनीकी शब्दों का प्रयोग वहीं किया गया है जहाँ अत्यावश्यक था जिससे सूक्ष्म-शिक्षण की व्याख्या सरलतम रहे, प्रशिक्षुओं को इसे समझने में आसानी हो और प्रवक्ताओं को समझाने में। कौशल-व्याख्या सुबोध्य है जिससे हर स्तर का पाठक इससे लाभ प्राप्त कर सके। प्रत्येक शिक्षण-कौशल के पाँच-पाँच आदर्श पाठ इसमें दिये गये हैं। लगभग हर प्रमुख विषय का एक एक पाठ इसमें दिया गया है। शिक्षक का प्रमुख कर्तव्य छात्रों का कक्षा-कार्य में ध्यानाकर्षण करना होता है। संदर्भित हास्य इस कार्य को प्रभावी तरीके से संपन्न करता है। अतः इन आदर्श पाठों में इस तकनीक का यथासंभव प्रयोग किया गया है जिससे प्रशिक्षु शिक्षक हास्य के प्रयोग को भी साथ-साथ सीख और समझ सकें। संदर्भित हास्य पाठों को रोचकता प्रदान करता है, थकान दूर कर जागरूकता लाता है और छात्रों का ध्यान आकर्षित करता है। इसे छात्र पाठ में अपेक्षतया अधिक ध्यान देते हैं। मगर पाठक ध्यान दें कि हम बात कर रहे हैं सिर्फ और सिर्फ संदर्भित हास्य की। हमारा विश्वास है कि इस पुस्तक से न केवल प्रशिक्षु शिक्षक बल्कि शिक्षण-प्रशिक्षक भी लाभान्वित होंगे।
लेखक परिचय
लेखक परिचय
डॉ. के.एस. भारद्वाज, एम.ए. (अंग्रेज़ी), एम.ए. (समाजशास्त्र), एम.एड्., पीएच.डी. (शिक्षाशास्त्र) स्नात्कोत्तर डिप्लोमा अंग्रेज़ी शिक्षण तथा प्रशिक्षण एवं विकास में। शिक्षक- प्रशिक्षण महाविद्यालय निदेशक-प्राचार्य, अब सेवानिवृत । छात्रकाल से ही लेखन और साहित्यिक में रुचि। कविताएँ प्रकाशित । अंग्रेजी कश्मीरी पत्रिका ‘मिरास’ में अंग्रेज़ी कहानी ‘फेयरवेल’ तथा साहित्यिक पत्रिका “गुंजन” (इंदौर) में “शाश्वत-प्रेम” उपन्यास आजकल धारावाहिक रूप में प्रकाशित, एन.सी.आर. (साप्ताहिक) में सतत लेखन, कहानी ‘हंस-पुराण’ भी प्रकाशित। ‘कक्षा में हास्य’, Humour in Classroom तथा कुछ शिक्षण पुस्तकें नीलकमल से ही प्रकाशनाधीन।
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