आमुख
भाषा शिक्षण की नींव है। विविध विषयों का शिक्षण भाषा शिक्षण पर ही आधारित होता है। मानव जीवन के अन्य क्रिया-कलाप भी भाषा के आधार पर ही चलते हैं। अतः शिक्षण प्रक्रिया के प्रारम्भ से ही भाषा को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर पर छात्र को उसकी मातृभाषा का ज्ञान अच्छे ढंग से कराया जाना चाहिए। इस अवस्था में बालक के मन पर पड़ी भाषा की छाप, जीवन पर्यन्त उसकी सहायता करती है। भाषा की ध्वनियों का शुद्ध उच्चारण, इनका शुद्ध रूप में लेखन तथा शब्दों और वाक्यों के निर्माण में इनके सही उपयोग की शिक्षा बाल्यकाल में ही दी जानी चाहिए। प्रारम्भिक अवस्था में बनायी गयी भाषा शिक्षण की नींव पर ही आगे का ज्ञान रूपी भव्य भवन खड़ा होता है। अतः शिक्षा के प्रारम्भिक स्तर पर भाषा का शिक्षण अत्यन्त प्रभावशाली एवं मनोवैज्ञानिक ढंग से किया जाना चाहिए।
हिन्दी शिक्षण विधियाँ पुस्तक बी.एड. के विद्यार्थियों हेतु लिखी गयी है। इकाई शिक्षण योजना के समानुरूप इस पुस्तक को इकाईयों में बाँटा गया है। इसमें भाषा शिक्षण के विविध पहलुओं पर विचार करने के साथ ही हिन्दी भाषा के स्वरूप पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया है। पुस्तक में भाषा-शिक्षण के विविध आयामों को मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों की कसौटी पर कसकर प्रस्तुत किया गया है। आशा है कि यह पुस्तक बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों के लिए हिन्दी भाषा शिक्षण में उपयोगी सिद्ध होगी।
नीलकमल प्रकाशन को धन्यवाद कहा जाना चाहिए कि उसने विद्यार्थियों के लिए हर तरह से उपयोगी हिन्दी का यह ग्रंथ प्रस्तुत किया है, जिसमें भाषा को समृद्ध बनाने वाले अन्य तत्वों को भी शामिल किया गया है। भाषा की समझ बढ़ाने के लिए इसमें अपठित गद्यांशों का अभ्यास भी शामिल किया गया है।
अस्तु !
– डॉ. शिवमूर्ति शर्मा डॉ. पवित्रा शाह
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