जैविक विज्ञान शिक्षण की प्रक्रिया | A Process of Pedagogy of Biological Science (Hindi)
ISBN: 9789391888312
प्राक्कथन
आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के द्वारा ही वर्तमान पीढ़ी अपनी सन्तति का सर्वांगीण विकास करने में सक्षम है। पिछले कई वर्षों में विज्ञान-शिक्षण के क्षेत्र में अत्यन्त महत्वपूर्ण परिवर्तन हुर हैं। विज्ञान विषय विद्यार्थियों को अन्य विषयों के समान ही कठिन विषय लगता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसका महत्व उसकी सामाजिक उपादेयता के कारण बढ़ा है। आज विज्ञान अपनी ऊँचाईयों के शिखर पर है। आज जिस आधुनिक सभ्यता में जीने का हम गर्व अनुभव करते हैं, आकाश को छूने, नित-नयी खोजों को करने, परमाणु पर विजय प्राप्त करने, चाँद सितारों पर पहुँचने की सोच मात्र से ही हम लिहर उठते थे, वह सब विज्ञान के द्वारा ही सम्भव हो पाया है। आज विज्ञान के क्षेत्र में उथल-पुथल मची हुई है। जैविक विज्ञान, विज्ञान विषय की ही एक शाखा है। आज जैविक विज्ञान की शिक्षा आधुनिक जीवन में उन्नति एवं विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी जाती है। जैविक विज्ञान शिक्षण का अध्ययन इसलिए भी अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सहायता से ही सिद्धान्तों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। जैविक विज्ञान शिक्षण का अध्ययन विद्यार्थियों को संकीर्ण पृष्ठभूमि से व्यापक एवं विस्तृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। विद्यार्थियों के इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर प्रस्तुत पुस्तक “जैविक-विज्ञान शिक्षण की प्रक्रिया” [A Process of Pedagogy of Biological Science) को लिखा गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में जैविक विज्ञान शिक्षण के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक में विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे बी०एड० पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम के सभी पक्षों व विन्दुओं को विस्तारपूर्वक वर्णन करके लिखा गया है, जिससे शिक्षा जगत के क्षेत्र में कार्यरत अध्यापक बिना किसी मार्ग दर्शन के केवल पुस्तक को पढ़कर जैविक विज्ञान शिक्षण की विधियों व प्रविधियों को आसानी से समझ सके।
उक्त पुस्तक के लिखने में मैं अपने पिता श्री निरंजन पाल, माता श्रीमति स्वदेश रानी, पति डॉ० पियूष कुमार जैन एवं अपनी पुत्री रक्षोघ्नी तथा अपने प्रकाशक श्री विनय रखेजा के प्रति आभार प्रकट करती हूँ जिनके सहयोग के विना इस कार्य को कर पाना असम्भव था।
वैसे तो इस पुस्तक को लिखने में सभी बातों का ध्यान रखा गया है, किन्तु फिर भी इस पुस्तक में यदि कोई त्रुटि हो या पाठकों के कोई सुझाव हों तो, वे सभी सुझाव आमन्त्रित हैं।
– डॉ० उन्नति विश्नोई
एम० एल० सी० पी० एच०० (रसायन विज्ञान).
एम० एस०सी० (मनीविज्ञान)
एम० एड०, पी० एच० डी० (शिक्षा)
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